DIL KI GULLAK (HINDI)
दिल की गुल्लक
परिवार की जिम्मेदारियां पूरी हुई
आज समय मिला अपने लिए
ये तो मेरी जिंदगी के लम्हों से भरी थी
अरे यह क्या ?
बेटी ने पूछा " माँ जब तुम नानी बन जाओगी
तो मेरी माँ कौन होगी ”
कितनी मासूमियत और कितनी फिक्र
ससुराल हो या मायका बेटियां
सभी की हो जाती हैं
बच्चे कैसे बड़े हो गए पता ही नहीं चला
समय जैसे पंख लगाकर उड़ गया
परिवार छोटे से बड़ा हुआ
और फिर और बड़ा हो गया
दिल की गुल्लक भी कमाल है
बच्चों को एक क्षण में बचपन से बड़ा होते देख लिया
जीवन में बहुत से लोग मिले
कुछ सच्चे और अच्छे
और कुछ मतलबी भी
कुछ दिलों में गहराई और सच्चाई नहीं होती
वह सोने की खान नहीं होते
वहां रेत और मिट्टी भी निकल आती है
सच्चे रिश्तों और दोस्तों ने खूब साथ निभाया
पर वह चले गए
शायद ईश्वर को भी उनकी जरूरत थी
इन्हीं यादों से मेरे दिल की गुल्लक में
हँसी और खुशी की रोशनी है
हर बात पर कोई ना कोई बात याद आती है
बस इसी के सहारे
जीवन की चढ़ती ढलती लय पर चलती हूँ
मुस्कुराती हूँ
खिलखिलाती हूँ
और गुनगुनाती हूँ
हर दिल में एक गुल्लक है
ज़रा इसे कभी खोल कर तो देखो
यहाँ ख़ुशियों का खज़ाना छिपा है
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Wow this poem brought a tear to my eye it's so beautiful, but it is also so true , thank you for sharing ❤️
ReplyDeleteSo true, it's awesome 👌❤️
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