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Showing posts from November 20, 2022

BINDIYA (HINDI)

  बिंदिया  मैं हूँ हिन्दी की बिंदी   नाम है मेरा नारी     जलधारा की तरह  हर क्षण बहती हूँ  कभी शांत नदी बन  तो कभी हरे भरे मैदानों में  खिलखिलाती हुई इठला कर चलती हूँ  और  चट्टानों सी कठिनाइयों की दरारों में  अपना रास्ता बना कर आगे बढ़ती हूँ  जल ही जीवन है  कभी खुशियों की लहरों के संग डोलता है  तो कभी दुःख दर्द के थपेड़े सह कर  आने वाले कल के सपने देखता है  जल की हर बूँद की अपनी किस्मत है  कहाँ जा कर ठहरे कुछ पता नहीं  जीवन में हर दिन इकअपना ही रंग लिये आता है   ज़िंदगी भी जल की तरह बिना रुके आगे ही बढ़ती है   मैं हूँ  जल की धारा   मेरा ही रूप है नारी  सृष्टी की रचना है नारी की ज़िम्मेदारी  नारी की बाहों में ही  है इंसानियत का पालना  सच्ची भावना और मन  की शक्ति से  खुद को ख़र्च करती हुई अपनों के लिये जीती है  वो झुक सकती है पर टूटती नहीं   वह सदा समय के साथ चलती है  जल की धारा जैसी...