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Showing posts from April 27, 2020

ZINDGI PHIR MUSKURAEGI ( HINDI )

                                                              ज़िंदगी फिर मुस्कुराएगी  फिर बहारें आएँगी  फिर ख़ुशियों के फूल खिलेंगे  यारों दोस्तों की महफ़िलें सजेंगी  सखियों सहेलियों की मुलाकातें और दावतें फिर से होंगी  और ज़िंदगी फिर से मुस्कुराएगी  आज दूरी हमारी मज़बूरी है  वरना अपने तो हमेशा दिल में रहते हैं  जल्द ही ज़िंदगी बाँहों में होगी  हम सूरज और चाँद की रौशनी से नज़रें मिलाएंगे  हम बारिश भी चखेंगे  और नन्हीं बूंदों से अपने आप को भिगोएंगे  बस थोड़ा ठहरो  कब तक मुँह छिपाएगा ये चाँद   ज़रा इन काले बादलों को छंट जाने दो  खुशियों के कहकहों से ही, ज़िंदगी की नींद टूटेगी  सुबह होने से पहले रात हमेशा गहरी होती है  कठिन समय है आज  सारे संसार की परीक्षा हो रही है  इस अनजानी तपश से हम खरे हो कर...