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Showing posts from April 30, 2022

BADEE ZIDDI HAI YEH ZINDAGI

   बड़ी ज़िद्दी है यह ज़िंदगी   कभी चंचल तो कभी निर्मल   कभी खिलखिलाती है तो कभी गुनगुनाती है  बस थोड़ी सी मनचली  है ज़िंदगी  इक नन्ही बच्ची की तरह मासूम है ये  तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलती है  फिर जहाँ चाहो जिधर चाहो उधर ही मुड़ जाती है  फिर वैसी ही बनती है ज़िंदगी  तुम किसी से कम नहीं   और  तुम्हारे जैसा भी कोई नहीं  हर इंसान विशेष है  हर एक के मन में ब्रह्मांड छिपा है  खुद को पहचानो तो बात बने  फिर बनाओ अपनी ज़िंदगी जैसा जी चाहे और जीओ  जैसा जी चाहे  इक बात कहूँ ज़िंदगी कभी भी  उधार नहीं रखती  जीवन में  कुछ गलत हो जाए या कुछ खो जाए   तो दिल छोटा न करो  ज़िंदगी मन भी बहलाती है और जो खो गया उसकी भरपाई भी करती है  उड़ने के लिये पंख तो सब को मिले हैं  फिर सोचना क्यों  अपनी उम्मीदों, और अपनी आशाओं के पंछिओं को  मन के पिंजरे में कैद न करो   खुला छोड़ दो उन्हें आसमान छूने दो    भरो उड़ान...