SRISHTI (HINDI)
सृष्टी सृष्टी की रचना में संतुलन कोमल भी और परिपक्व भी जैसे सक्षम स्त्री और पुरुष का पौरुष जल यदि पुरुष है नदियाँ है नारी जगत जननी जैसे गंगा, यमुना, सरस्वती, भागीरथी कलियाँ स्त्रीलिंग हैं तो कांटे पुलिंग उसके रक्षक पुरुष बादल हैं तो बारिश की नन्हीं बूँदें नारी, जो अपने हर रूप में पूर्ण चाँद आता है तभी रौशनी आती है फिर चँचल सितारे टिमटिमाते हैं नन्हें बच्चों की तरह जब सूरज निकलता है धूप उससे मिलनें आती है शायद इसीलिये नदियाँ समन्दर से मिलने भागी चली आती हैं जैसे स्त्री और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक और दोनों ही ईश्वर की सृष्टी की दृष्टी ____________