INTZAR ( HINDI )
इंतज़ार
मैं आज भी वहीं हूँ
जहाँ तुम मुझे छोड़ गये थे
और कब सावन चला भी गया
इन आँखों की नमी तो आज तक नहीं सूखी
अब केवल समय चल रहा है
पर मैं वहीं रुकी हूँ
यादों की धरोहर है दिल में
बस यही है मेरी पूँजी
मेरे आज को कल से कोई उम्मीद ही नहीँ
हाँ , मेरे आज को कल से कोई उम्मीद नहीँ
ज़िंदगी का सब कुछ तो जी चुकी हूँ
बाकी कुछ रहा ही नहीँ
अब तो चेहरे पर हँसी की सिलवटों में
तन्हाई की परछाईं नज़र आने लगी है
कुछ भी तो भूल नहीँ पाई
बस सिर झुका कर यादों को सहला देती हूँ
तुम्हारे गीत गुनगुना कर
थोड़ा मन बहला लेती हूँ
कब आओगे तुम
मुझे कब बुलाओगे
बताओ न
तुम कब आओगे
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