AJEY HAE NAARI (HINDI)
अजेय है नारी
क्षितिज दिखाई नहीं देता
केवल इक काली लकीर बन कर रह गया है
हालात का अँधेरा चारों तरफ़ फैला है
परिस्थितियों की बर्फीली नदी में
हिमखंड बन कर रह गई हूँ मैं
इधर से उधर डोल रहीं हूँ
क्या भटकना ही मेरी नियती है
जीवन की ज़िम्मेदारियाँ और अपेक्षाऐं तो सदा बढ़ती ही हैं
मेरा मौन मन सब देखता है, सब सुनता है
सहता है सब हो कर मौन
नहीं, नहीं और नहीं बस
चुप रह कर मैं अपने ही रक्त में रिसती नहीं रहूँगी
हाँ, मैं झुक सकती हूँ
लेकिन टूट कर बिखरूँगी नहीं
कहाँ है वो अदृश्य व्यक्ति
जिसे हम ईष्वर और न जाने कितने ही नामों से पुकारते हैँ
चुप रह कर वो सब देखता है
वो कुछ करता क्यों नहीं
अब मैं भी अबला नहीं
असहाय नहीं हूँ मैं
आत्मनिर्भर हूँ, अपनी किस्मत ख़ुद लिखूंगी
क्षितिज दिखाई नहीं देता
केवल इक काली लकीर बन कर रह गया है
हालात का अँधेरा चारों तरफ़ फैला है
परिस्थितियों की बर्फीली नदी में
हिमखंड बन कर रह गई हूँ मैं
इधर से उधर डोल रहीं हूँ
क्या भटकना ही मेरी नियती है
जीवन की ज़िम्मेदारियाँ और अपेक्षाऐं तो सदा बढ़ती ही हैं
मेरा मौन मन सब देखता है, सब सुनता है
सहता है सब हो कर मौन
नहीं, नहीं और नहीं बस
चुप रह कर मैं अपने ही रक्त में रिसती नहीं रहूँगी
हाँ, मैं झुक सकती हूँ
लेकिन टूट कर बिखरूँगी नहीं
कहाँ है वो अदृश्य व्यक्ति
जिसे हम ईष्वर और न जाने कितने ही नामों से पुकारते हैँ
चुप रह कर वो सब देखता है
वो कुछ करता क्यों नहीं
अब मैं भी अबला नहीं
असहाय नहीं हूँ मैं
आत्मनिर्भर हूँ, अपनी किस्मत ख़ुद लिखूंगी
मेरा अस्तित्व मेरा है और मेरी आत्मा भी मेरी
मुझ कोई यूँहीं मिटा नहीं पायेगा
मुझसे जीत न हीं पाएगा कोई
मैं अजेय हूँ
और मेरा नाम है, नारी
मेरे रूप हैं अनेक
और मेरा नाम है, नारी
मेरे रूप हैं अनेक
मैं हूँ इक बेटी , इक बहन ,इक पत्नी और इक माँ
मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
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