IK MAA KI CHITTHEE ( HINDI )
इक माँ की चिट्ठी
जानती हूँ परिवर्तन ही जीवन है
संसार में हमेशा के लिए तो कुछ भी नहीं
और इक दिन मैं भी नहीं रहूँगी
इक बात कहूँ तुमसे --
" बस तुम रोना नहीं " जब मैं नहीं रहूँगी
मेरे जाने पर उदास मत होना
मुझे अपने दिल में संजो कर रख लेना
वहीं रहूँगी अब मैं
कहीँ दूर नहीं जा रहीं हूँ
अब केवल दिल में ही रहूँगी मैं
यादें तो कभी पुरानी नहीँ होतीं
और यादें कभी अपना घर भी नहीं बदलतीं
याद करना उन दिनों को जब हम साथ थे
याद करना उन पलों को
जब जब हम इक साथ मुस्कुराए
याद करना उन दिनों को जब हम
इक साथ हँसे और खिलखिलाए थे
याद करना उस वख्त को
जब हमनें ज़िंदगी की मुश्किलों को हराया था
हमनें दुनिया देखी
दुनिया का हर पहलू देखा
लेकिन अब दुनिया मुझे नहीं देख सकेगी
मैं केवल दिलों में ही रहूंगी मैं
बस तुम कभी कमज़ोर मत पड़ना
क्योंकि कमज़ोर दीवारों को दुनिया
ठोकर मार कर गिरा देती है
और तमाशा देखती है
मुझे रो कर नहीं केवल प्यार से याद करना
ज़िंदगी के हर पल को जी भर भर के जीना
ज़िंदगी को घूँट घूँट ले कर पीना
हंस हंस के जीना
मैं तुम सब की हंसी में ही तो जीती हूँ
माँ हूँ न तुम्हारी
बच्चों की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है
और इस ख़ुशी में ही इक माँ की मुक्ति है
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