YE ZINDGI ( IN HINDI)
ये ज़िंदगी
समय के पहियों पर घूमती अनथक
दौड़ती, भागती, गिरती, उठती ये ज़िन्दगी
चलती है समय के साथ साथ
कभी पेड़ की पत्तियों की कंपकपाहट में झलकती है ज़िन्दगी
तो कभी चिड़िया की चहचहाहट में
कभी पेड़ की पत्तियों की कंपकपाहट में झलकती है ज़िन्दगी
तो कभी चिड़िया की चहचहाहट में
बच्चे के लिए माँ का दूध बनती है ये ज़िन्दगी
प्यार के छूने पर जब देह झनझनाती है
तो खनकती है ये ज़िन्दगी
ज़िन्दगी सजती है ,संवरती है इक सपना बुनती है
और अपनों में इक अपना ढूंढती है
कौन कैसे और कहाँ मिले कुछ पता नहीं
बहुत से लोग आगे बढ़े और बहुत बड़ा जिए
पर बहुत से पीछे भी रह गये
ये सालों की बात नहीँ
कौन किसके साथ कैसे चले कैसे जिए
बस वैसी ही बनती है ये ज़िन्दगी
बहुत चंचल है, निश्छल है ज़िन्दगी
ज़िन्दगी सजती है ,संवरती है इक सपना बुनती है
और अपनों में इक अपना ढूंढती है
कौन कैसे और कहाँ मिले कुछ पता नहीं
बहुत से लोग आगे बढ़े और बहुत बड़ा जिए
पर बहुत से पीछे भी रह गये
ये सालों की बात नहीँ
कौन किसके साथ कैसे चले कैसे जिए
बस वैसी ही बनती है ये ज़िन्दगी
बहुत चंचल है, निश्छल है ज़िन्दगी
कभी ये मासूम हंसी में सुनाई देती है
तो कभी फूलों की शोखी में दिखाई देती है
तो कभी फूलों की शोखी में दिखाई देती है
चुल्लू भर भर जीती है ज़िन्दगी
इसका हर पल आखिरी है
जो कभी लौट कर नहीं आता
रहती हैं तो केवल यादें
रुख बदलती है ज़िन्दगी इक नदी की तरह
कभी मिट्टी में खेलती है...
जो कभी लौट कर नहीं आता
रहती हैं तो केवल यादें
रुख बदलती है ज़िन्दगी इक नदी की तरह
कभी मिट्टी में खेलती है...
तो कभी महलों में पलती है
सतरंगी ओढ़नी ओढ़े ज़िन्दगी
सतरंगी ओढ़नी ओढ़े ज़िन्दगी
हर बार इक नए सफर पर निकलती है
ये जीती है नन्हें नन्हें पलों में और झूलों में
कभी अमीरों के पालनों में
तो कभी ग़रीब माँ की बाहों में
तो कभी खेतों और खलिहानों में
ये ज़िंदगी
हर रंग में सजती है, संवरती है
इक अपना सपना बुनती है
और अपनों में इक अपना ढूंढती है
ये ज़िन्दगी
हर रंग में सजती है, संवरती है
इक अपना सपना बुनती है
और अपनों में इक अपना ढूंढती है
ये ज़िन्दगी
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Beautiful wordings 👌❤️
ReplyDeleteअति सुंदर
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