BADEE ZIDDI HAI YEH ZINDAGI
बड़ी ज़िद्दी है यह ज़िंदगी कभी चंचल तो कभी निर्मल कभी खिलखिलाती है तो कभी गुनगुनाती है बस थोड़ी सी मनचली है ज़िंदगी इक नन्ही बच्ची की तरह मासूम है ये तुम्हारा हाथ पकड़ कर चलती है फिर जहाँ चाहो जिधर चाहो उधर ही मुड़ जाती है फिर वैसी ही बनती है ज़िंदगी तुम किसी से कम नहीं और तुम्हारे जैसा भी कोई नहीं हर इंसान विशेष है हर एक के मन में ब्रह्मांड छिपा है खुद को पहचानो तो बात बने फिर बनाओ अपनी ज़िंदगी जैसा जी चाहे और जीओ जैसा जी चाहे इक बात कहूँ ज़िंदगी कभी भी उधार नहीं रखती जीवन में कुछ गलत हो जाए या कुछ खो जाए तो दिल छोटा न करो ज़िंदगी मन भी बहलाती है और जो खो गया उसकी भरपाई भी करती है उड़ने के लिये पंख तो सब को मिले हैं फिर सोचना क्यों अपनी उम्मीदों, और अपनी आशाओं के पंछिओं को मन के पिंजरे में कैद न करो खुला छोड़ दो उन्हें आसमान छूने दो भरो उड़ान...