ZINDAGI KEE LKEERAEN ( HINDI )
ज़िन्दगी की लकीरें खुद को आइने में देखा तो चौंक गयी चढ़ती उम्र कैसे बीती पता ही नहीं चला कहाँ से कहाँ आ गई ज़िंदगी समय जैसे पंख लगा कर उड़ गया मुझे हैरान देख चेहरे की लकीरें हँस पड़ी मुस्कुरा कर बोलीं " अरे भई क्या हुआ ? " हम तो केवल आपकी ज़िंदगी की परछाईं हैं " बिस्तर पर चादर के बल सुबह होते ही रात की कहानी कह देते हैं वैसे ही हम ज़िंदगी की कहानी बयान करते हैं आशा निराशा सब इन लकीरों में छिपी हैं सीधा सच्चा सच मन में ख़ुशी और चेहरे पर हँसी की फुहारों की निशानी छोड़ जाता है इस जीवन ने बहुत कुछ दिया प्यार और इज़्ज़त झोली भर के मिली चेहरे पर ये झुर्रियां नहीं ज़िंदगी के उतार चढ़ाव की सिलवटें हैँ बस इन्हीं में छिपी है जीवन की तस्वीर अब तो खुद को खुश करने का समय आया है दुनियादारी और ज़िम्मेदारियाँ सब दिल से निभाईं ये सिलवटें हमारी रंग बिरंगी ज़िंदगी की कही और अनकही कहानियाँ हैं ये स...